Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
2 Feb 2025 · 1 min read

बसंत ऋतु आई है।

बसंत ऋतु आई है
==============
मदन रूप धारकर,
रति का सिंगार कर।
पीत वसन धार प्रकृति,
करती अगवाई है।।

शीत ने समेटे पंख,
रवि ने दिया फूक शंख।
शीतलता त्याग कर,
आतप ने ले ली गरमाई है।।

नव पर्ण धार तरु,
ललित ललाम मरु।
“राज” आज मारुत ने,
चहुॅंदिस महकाई है।।

नवरूप धार धारा,
मन में उल्लास भरा।
माॅं पाणि के स्वागतार्थ,
बसंत ऋतु आई है।।

~✒️ राजकुमार पाल(राज)🖋️
(स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित)

Loading...