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22 Jan 2025 · 1 min read

पंछी रास्ता भटक गया

पंछी रास्ता भटक गया
फिर चला कुछ देर राह पर
फिर रस्सी पे लटक गया
जाना तो था उसे अपने गंतव्य
सुबह को भूला शाम को घर लौट गया
पंछी रास्ता भटक गया
मंजिल की तलाश में
जिस्म पे मौत के आवास में
सबको छिटक गया
पंछी रास्ता भटक गया

~ जितेन्द्र कुमार “सरकार”

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