पंछी रास्ता भटक गया

पंछी रास्ता भटक गया
फिर चला कुछ देर राह पर
फिर रस्सी पे लटक गया
जाना तो था उसे अपने गंतव्य
सुबह को भूला शाम को घर लौट गया
पंछी रास्ता भटक गया
मंजिल की तलाश में
जिस्म पे मौत के आवास में
सबको छिटक गया
पंछी रास्ता भटक गया
~ जितेन्द्र कुमार “सरकार”