नई शिक्षा की दिशा
नई सुबह की नई राहें,
शिक्षा में गूंजें नई चाहें।
नीति बनी जो बदले खेल,
सपनों को दे नए स्वप्नों के पंख।
बच्चों के कंधों से बस्ते हल्के,
ज्ञान के बोझ से अब न दबके।
रटना कम, समझ बढ़े,
जीवन कौशल से मन जुड़े।
तीन से छह साल की उमर,
अब बनेगी सीखने का सफर।
मूलभूत शिक्षा, मातृभाषा का जोर,
अपना जड़ों से रिश्ता और।
प्रश्न पूछना, सृजन की कला,
अब है पढ़ाई में यह नया फलसफा।
कौशल विकास, व्यावसायिक ज्ञान,
हर बच्चा बने खुद का कप्तान।
संस्थाओं में लचीला ढांचा,
पाठ्यक्रम का खुला मचान।
हुनर, कला और तकनीकी संग,
नए युग का हो शिक्षा रंग।
पर कुछ सवाल भी हैं खड़े,
क्या हर कोने में यह कदम बढ़े?
ग्रामीण भारत, गरीब की पुकार,
क्या पहुंचेंगे सब तक यह सुधार?
फिर भी उम्मीद है आसमान,
भारत के भविष्य में नया विहान।
नई शिक्षा नीति की यह परिभाषा,
हर बच्चे का बने नया दिशा।