Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Jan 2025 · 1 min read

અણધારી મુલાકાત

હૃદયના ધબકારને સાચવીને રાખ્યો છે,
ક્યારેક એ અણધારી મુલાકાત કરે તો ?

Language: Gujarati
1 Like · 11 Views

You may also like these posts

“विश्वास”
“विश्वास”
Neeraj kumar Soni
रात अभी अलसाई है,  जरा ठहरो।
रात अभी अलसाई है, जरा ठहरो।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
गरीबी एक रोग
गरीबी एक रोग
Sunny kumar kabira
*रिश्ते*
*रिश्ते*
Ram Krishan Rastogi
थोड़ी सी गुफ्तगू क्या हो गई कि उन्होंने मुझे ही सरफिरा समझ ल
थोड़ी सी गुफ्तगू क्या हो गई कि उन्होंने मुझे ही सरफिरा समझ ल
SATPAL CHAUHAN
वीरान गली हैरान मोहल्ला कुछ तो अपना अंदाज लिखो / लवकुश_यादव_अजल
वीरान गली हैरान मोहल्ला कुछ तो अपना अंदाज लिखो / लवकुश_यादव_अजल
लवकुश यादव "अज़ल"
- तेरे बाद में कुछ भी नही हु -
- तेरे बाद में कुछ भी नही हु -
bharat gehlot
कहीं ना कहीं कुछ टूटा है
कहीं ना कहीं कुछ टूटा है
goutam shaw
हमराही
हमराही
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
हर मनुष्य के अंदर नेतृत्व की भावना होनी चाहिए।
हर मनुष्य के अंदर नेतृत्व की भावना होनी चाहिए।
Ajit Kumar "Karn"
रक्खा था ख्वाब आंखों में अपनी संभाल कर ।
रक्खा था ख्वाब आंखों में अपनी संभाल कर ।
Phool gufran
मंजिल को अपना मान लिया।
मंजिल को अपना मान लिया।
Kuldeep mishra (KD)
"याद के काबिल"
Dr. Kishan tandon kranti
3828.💐 *पूर्णिका* 💐
3828.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
आज कल पढ़ा लिखा युवा क्यों मौन है,
आज कल पढ़ा लिखा युवा क्यों मौन है,
शेखर सिंह
बेगुनाही एक गुनाह
बेगुनाही एक गुनाह
Shekhar Chandra Mitra
संतोष विद्यार्थी जी के जन्मदिन पर
संतोष विद्यार्थी जी के जन्मदिन पर
Sudhir srivastava
सलाम सलाम, उन शहीदों को सलाम
सलाम सलाम, उन शहीदों को सलाम
gurudeenverma198
धर्म का मर्म समझना है ज़रूरी
धर्म का मर्म समझना है ज़रूरी
Dr fauzia Naseem shad
पिछले 4 5 सालों से कुछ चीजें बिना बताए आ रही है
पिछले 4 5 सालों से कुछ चीजें बिना बताए आ रही है
Paras Mishra
अब तो मिलने में भी गले - एक डर सा लगता है
अब तो मिलने में भी गले - एक डर सा लगता है
Atul "Krishn"
तन्हाई से सीखा मैंने
तन्हाई से सीखा मैंने
Mohan Pandey
इतनी खुबसुरत हो तुम
इतनी खुबसुरत हो तुम
Diwakar Mahto
दोस्त
दोस्त
Shweta Soni
Could you confess me ?
Could you confess me ?
डॉ कुलदीपसिंह सिसोदिया कुंदन
विजयदशमी
विजयदशमी
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
प्रतीक्षा
प्रतीक्षा
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
*चेतना-परक कुछ दोहे*
*चेतना-परक कुछ दोहे*
Ravi Prakash
चाय ही पी लेते हैं
चाय ही पी लेते हैं
Ghanshyam Poddar
(आखिर कौन हूं मैं )
(आखिर कौन हूं मैं )
Sonia Yadav
Loading...