भजन (संत रविदास)
कहां गये रविदास भगत, तुम्हे दुनिया याद करै सै।
है खाली स्थान तेरा, इसे आकै कौन भरै सै।
भगति भगति दुनिया करती, भगति की सार नहीं।
बडे़ भगत जो बने हुऐ , है मन में प्यार नहीं।
ढोल पीटते भगति का, झूठी फरयाद करै सै। (१)
कहां गये रविदास भगत, तुम्हे दुनिया याद करै सै।
भगत बहुत से तुमने ढहाये, करके बहस चरन सिर नाये।
अभिमानी के मान घटाये, अदभुत चमत्कार दिखलाये।
रानी झाली, मीरा, पीपा , कबीरा वाद करै सै। (2)
कहां गये रविदास भगत, तुम्है दुनिया याद करै सै।
संत शिरोमणि का दर्जा, अपनी भगति से पाया।
जाति वाद और ऊंच नीच को,सम करके दिखलाया।
इब्राहीम लोधी राजा तेरी ,शिक्षा को याद करै सै। ३)
कहां गये रविदास भगत, तुम्है दुनिया याद करै सै।
निर्गुण से अरदास भगत तुम, एक बार फिर आओ।
ऊंच- नीचं की गहरी खाई, इसको सम कर जाओ।
है “मंगू” परेशान गुरु, कब सर पै हाथ धरै सै। (४)
कहां गये रविदास भगत तुम्है दुनिया याद करै सै।