कुछ तो सोचा होगा ख़ुदा ने
क्या गिला क्या शिकायत होगी,
दया के सागरः लोककवि रामचरन गुप्त +रमेशराज
सत्य क्या है ?
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
बाहर का मंज़र है कितना हसीन
आसमान की छोड़ धरा की बात करो।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
दुनिया वाले कहते अब दीवाने हैं..!!
मेरी एक बात हमेशा याद रखना ,
सत री संगत
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
सुनोगे तो बताएंगे (ग़ज़ल)
क्या हक़ीक़त है ,क्या फ़साना है
पितामह भीष्म को यदि यह ज्ञात होता