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23 Dec 2024 · 1 min read

आजकल का प्यार

बेशर्त प्यार कम है।
जो तेरे -मेरे संग हैं।
ज़रूरत से ज़्यादा
आजकल का वादा
प्यार में दिखावा
ज़रूरत से ज़्यादा
बेशर्त प्यार कम है ।
जो तेरे -मेरे संग हैं।
दौलत का नशा इतना
चंद रुपयों में ज़मीर बेचते हैं
शोहरत के खातिर
अंग की नुमाइश करते हैं।
हर -रोज ऐतबार टूटता है।
बेबस प्यार मरता है।
– डॉ. सीमा कुमारी.

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