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11 Feb 2025 · 1 min read

शायद तुम ना जान सकी

शायद तुम ना जान सकी,
मुझको ना पहचान सकी ।
सखी बनाया तुमको मैंने,
तु ये भी ना मान सकी ।।

शायद तु ना जान सकी,
मुझको ना पहचान सकी ।
दिल में मेरे जो कुछ भी है,
वह क्यों ना तुम जान सकी ।।

शायद तु ना जान सकी,
मुझको ना पहचान सकी ।
मेरी हर धड़कन में तु है,
मेरे मन मंदिर में तु है ।।

माँ के बाद मैंने तुझको,
सबसे ज्यादा चाहा है ।
तु ये भी ना जान सकी,
शायद ना पहचान सकी ।।

मेरा दुर्भाग्य ऐसा है,
कि मैं कुछ कह नहीं सकता ।
बिना कहे भी तो मैं अब,
ए हमदर्द यूँही रह नहीं सकता ।।

तुम ही तुम हो मेरे दिल में,
बिना तेरे मैं यूँही रह नहीं सकता ।
सुनाऊं किसको अफसाने,
दर्द हर किसी से यूँही कह नहीं सकता ।।

भरोसा हो गया तुमपे,
भरोसा हर किसी पे हो नहीं सकता ।
कहूं मैं बात अब किससे,
हर किसी से यूँही कह नहीं सकता ।।

ललकार भारद्वाज

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