माया
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
- तुम मुझको क्या जानोगे -
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
हिचकियां कम कभी नहीं होतीं
दीप प्रज्ज्वलित करते, वे शुभ दिन है आज।
रास्ते का फूल ना बन पाई तो..
*इस धरा पर सृष्टि का, कण-कण तुम्हें आभार है (गीत)*
वह ख्वाब सा मेरी पलकों पे बैठा रहा
हम तुम एक डाल के पंछी ~ शंकरलाल द्विवेदी
Shankar lal Dwivedi (1941-81)
संभावना है जीवन, संभावना बड़ी है
ना कोई सुनने वाला है ना कोई पढ़ने वाला है किसे है वक्त कुछ कह
दूसरो की लाइफ मैं मत घुसा करो अपनी भी लाइफ को रोमांचक होगी।
जिंदगी ढल गई डोलते रह गये
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
तुझसे परेशान हैं आज तुझको बसाने वाले
" अलबेले से गाँव है "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
बिछड़ गए तो दिल उम्र भर लगेगा नहीं
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