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9 Dec 2024 · 1 min read

"हम बेशर्म होते जा रहे हैं ll

“हम बेशर्म होते जा रहे हैं ll
हम बेरहम होते जा रहे हैं ll

दिल से कठोर होते जा रहे हैं
दिमाग से गरम होते जा रहे हैं ll

पैसे वाले बढते जा रहे हैं,
प्रेम वाले कम होते जा रहे हैं ll

जो भी चाहिए, तुरंत चाहिए,
हम अपना संयम खोते जा रहे हैं ll

शहर के घर में रहने लगे हैं बेटे-बहु,
गांव के घर वृद्धाश्रम होते जा रहे हैं ll”

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