Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Nov 2024 · 1 min read

सरसी छंद

सरसी छंद16/11

दिल है घायल रहता जाने,छिनता है सूकून
इक प्याला है मेरी आत्मा, निचड़ा इसमें खून।

लोग दर्द ही देते रहते, हैं लगाते घाव।
दिए जख्म हैं लाखों मुझको, होता लहू रिसाव ।।
कभी कभी है दरके प्याला, मुश्किल हों दो जून।
इक प्याला है मेरी आत्मा, निचड़ा इसमें खून।

टूटे जुड़े हैं मन का शीशा, लगते सौ पैबंद।
खुश है रहना सब है सहना, माना बस आनंद।।
लोग बाग हैं फिर भी छिड़कें,जख्मों ऊपर नून।
इक प्याला है मेरी आत्मा, निचड़ा इसमें खून।

मतलब साधे हैं जो अपने, मीठे मीठे बोल।
बाण चलाए मुख से ऐसे,मनवा जाए डोल।।
काँटो में रह कर भी तुम, खिलना सुभग प्रसून ।
इक प्याला है मेरी आत्मा, निचड़ा इसमें खून।

सीमा शर्मा

28 Views

You may also like these posts

हम बस भावना और विचार तक ही सीमित न रह जाए इस बात पर ध्यान दे
हम बस भावना और विचार तक ही सीमित न रह जाए इस बात पर ध्यान दे
Ravikesh Jha
प्रश्न अगर हैं तीक्ष्ण तो ,
प्रश्न अगर हैं तीक्ष्ण तो ,
sushil sarna
प्यारे बप्पा
प्यारे बप्पा
Mamta Rani
समंदर इंतजार में है,
समंदर इंतजार में है,
Manisha Wandhare
जो कहना है,मुंह पर कह लो
जो कहना है,मुंह पर कह लो
दीपक झा रुद्रा
सोच
सोच
Dinesh Kumar Gangwar
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
मोल
मोल
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
मिल जाये
मिल जाये
Dr fauzia Naseem shad
बताओ हम क्या करें
बताओ हम क्या करें
Jyoti Roshni
अगर प्रेम है
अगर प्रेम है
हिमांशु Kulshrestha
3147.*पूर्णिका*
3147.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
अंदाज़े बयाँ
अंदाज़े बयाँ
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
अकेलापन
अकेलापन
Rambali Mishra
सम्प्रेषण
सम्प्रेषण
Khajan Singh Nain
सपनों को दिल में लिए,
सपनों को दिल में लिए,
Yogendra Chaturwedi
बोल उठी वेदना
बोल उठी वेदना
नूरफातिमा खातून नूरी
उपदेशों ही मूर्खाणां प्रकोपेच न च शांतय्
उपदेशों ही मूर्खाणां प्रकोपेच न च शांतय्
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
हम सबके पास शाम को घर लौटने का ऑप्शन रहना ज़रूरी है...हम लाइ
हम सबके पास शाम को घर लौटने का ऑप्शन रहना ज़रूरी है...हम लाइ
पूर्वार्थ
*** मैं प्यासा हूँ ***
*** मैं प्यासा हूँ ***
Chunnu Lal Gupta
गहरी हो बुनियादी जिसकी
गहरी हो बुनियादी जिसकी
डॉ. दीपक बवेजा
ना मसले अदा के होते हैं
ना मसले अदा के होते हैं
Phool gufran
माँ मैथिली आओर विश्वक प्राण मैथिली --- रामइकबाल सिंह 'राकेश'
माँ मैथिली आओर विश्वक प्राण मैथिली --- रामइकबाल सिंह 'राकेश'
श्रीहर्ष आचार्य
तेरी नज़र से बच के जाएं
तेरी नज़र से बच के जाएं
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
अंतर्निहित भय
अंतर्निहित भय
Shashi Mahajan
ଅନୁଶାସନ
ଅନୁଶାସନ
Bidyadhar Mantry
विश्वेश्वर महादेव
विश्वेश्वर महादेव
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
मेले
मेले
Punam Pande
झूठे सारे रूप है, सत्य एक भगवान
झूठे सारे रूप है, सत्य एक भगवान
RAMESH SHARMA
जिसकी शाख़ों पर रहे पत्ते नहीं..
जिसकी शाख़ों पर रहे पत्ते नहीं..
Shweta Soni
Loading...