बस एक प्रहार कटु वचन का मन बर्फ हो जाए
मेरे घर के सामने एक घर है छोटा सा
जरूरी नहीं कि वह ऐसा ही हो
#ਮੁਸਕਾਨ ਚਿਰਾਂ ਤੋਂ
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
मतदान करो और देश गढ़ों!
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
हम कैसे जीवन जीते हैं यदि हम ये जानने में उत्सुक होंगे तभी ह
इन हवाओं को न जाने क्या हुआ।
■ न तोला भर ज़्यादा, न छँटाक भर कम।। 😊
“आखिर मैं उदास क्यूँ हूँ?
तुम्हारी गली से आने जाने लगे हैं
चर्बी लगे कारतूसों के कारण नहीं हुई 1857 की क्रान्ति
चिंपू गधे की समझदारी - कहानी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
ना मै अंधी दौड़ में हूं, न प्रतियोगी प्रतिद्वंदी हूं।
दुःख बांटू तो लोग हँसते हैं ,
डॉ0 मिश्र का प्रकृति प्रेम