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26 Oct 2024 · 2 min read

झाग की चादर में लिपटी दम तोड़ती यमुना

हम सभी ने बचपन में कालिया नाग की कहानी सुनी है, कहते हैं की ये कालिया नाग यमुना (Yamuna) में रहता था जो अपने मुंह से जहर फेंका करता और यमुना को जहरीला कर देता था फिर भगवान कृष्ण ने आकर यमुना को कालिया नाग से बचाया।
पर जरा रुकिए अगर कालिया नाग अब यमुना में नहीं है तो आखिर अब यमुना में ये सफेद झाग कैसे। ये तस्वीरें जो आप देख रहे हैं ये कोई ग्लेशियर की नहीं है बल्कि ये झाग है….सफेद झाग जो यमुना में बर्फ कि परत की तरह दिखाई दे रहा है।
उत्तराखंड के यमुनोत्री से निकलने वाली यमुना (Yamuna nadi) गंगा (Ganga) की सबसे बड़ी सहायक नदी है। पश्चिमी हिमालय से निकल कर उत्तर प्रदेश और हरियाणा की सीमा के सहारे 95 मील का सफर तय कर यमुना उत्तरी सहारनपुर के मैदानी इलाके में पहुँचती है। फिर ये दिल्ली, आगरा से होती हुई प्रयागराज में गंगा नदी से मिल जाती है।
जैसे ही ये कल कल करती स्वच्छ यमुना (Yamuna) दिल्ली में ऐंटर करती है तो ये एक बदबूदार झाग भरे नाले में तबदील हो जाती है। इसकी वजह है untreated sewage, industries से निकलने वाला chemical waste, agricultural runoff, ढेर सारा कचरा,जानवरों के शव और डिकंपोस्ड पेड़ पौधे।
1376 किमी लंबी यमुना के पांच मेन हिस्से हैं
पहला हिस्सा पहाड़ों पर – यहां यमुना (Yamuna River) बिल्कुल अपने शुद्ध रूप में बहती है, दूसरा हिस्सा अपस्ट्रीम दिल्ली यहां यमुना धिरे धिरे प्रदूषित होना शुरु हो जाती है, तीसरा हिस्सा दिल्ली (Delhi Yamuna) यही नदी का सबसे प्रदूषित इलाका है, चौथा हिस्सा डाउनस्ट्रीम दिल्ली और अपने पांचवे हिस्से में साफ सुथरी सुरक्षित बचाई गई यमुना से चंबल, केन, सिंह और बेतवा नदियां मिलती हैं।
विशेषज्ञों ने तो दिल्ली में यमुना (Yamuna) को मृत घोषित कर दिया है, यानें की इस नदी में कोई भी aquatic animal नहीं रह सकता BHU के फिजिसिस्ट फणींद्र पति की मानें तो इसकी वजह यमुना में छोड़ा जा रहा इंडस्ट्रियल वेस्ट है, जिससे यमुना के पानी का temperature बढ़ने के साथ साथ इसका बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) भी बढ़ने लगा है। बीओडी पानी में कार्बनिक substances को तोड़ने के लिए जरूरी ऑक्सीजन के amount को measure करता है। अगर बीओडी ज्यादा होगा तो पानी को कार्बनिक substances को तोड़ने के लिए ज्यादा ऑक्सीजन चाहिए होगी।
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के इस साल जून तक के आंकड़ों को देखें तो इससे साफ पता लगता है कि यमुना के लिए निर्धारित बीओडी मानक 3 मिलीग्राम/लीटर या उससे कम हैऔर यमुना में सिर्फ हरियाणा के पल्ला में ये आंकड़ा मैच करता है जहां पानी में बीओडी 2 मिलीग्राम/लीटर है।
हजारों लोगों को जीवन दान देने वाली यमुना आज खुद ही झाग की चादर में दम तोड़ रही है.. कहते हैं की भैयादूज के दिन यमुना मैया के भाई यम उनसे मिलने आते हैं, अपनी बहन की ये स्थिति आखिर यम कैसे देख पाएंगे इसका जिम्मेदार (responsible) हम किसे मानें सरकार को प्रशासन को या फिर इन सब की वजह हम खुद ही हैं।

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