स्वयं का न उपहास करो तुम , स्वाभिमान की राह वरो तुम
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
पैसे के बिना आज खुश कोई कहाॅं रहता है,
दिल में कुण्ठित होती नारी
इंसान होकर जलने से बेहतर है,
लफ्जों के जाल में उलझा है दिल मेरा,
#पथ-प्रदीप
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
चाहे कितना भी ऊंचा पद प्राप्त कर लो, चाहे कितनी भी बडी डिग्र
*बीजेपी समर्थक सामांतर ब्रह्मांड में*🪐✨
मर्म का दर्द, छिपाना पड़ता है,
Kp
Aasukavi-K.P.S. Chouhan"guru"Aarju"Sabras Kavi
ये जो फेसबुक पर अपनी तस्वीरें डालते हैं।
*खो गया है प्यार,पर कोई गिला नहीं*
न दीखे आँख का आँसू, छिपाती उम्र भर औरत(हिंदी गजल/ गीतिका)
आंधियों की धुन
धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर