रींगस वाली राह पकड़कर
रींगस वाली राह पकड़कर
रींगस वाली रेल पकड़कर, खाटू धाम मैं आऊँगा
ध्यान धरूँ नित श्याम तेरा मैं, तेरी ज्योत जलाऊँगा
रोज मुझे सपने में बाबा, झलक तेरी दिख जाती है
सोने सी आभा को देखकर, नींद चैन की आती है
मनमोहक तेरे नैन सांवरे,दिल में उन्हें बिठाऊँगा
ध्यान धरूँ नित श्याम तेरा मैं, तेरी ज्योत जलाऊँगा
ध्वजा हाथ में लेकर बाबा, भक्त तेरे दर आते है
दूर-दूर की कठिन यात्रा, पूरी वो कर जाते हैं
फूलों का सुन्दर सा मंडप, मैं भी देखकर जाऊँगा
ध्यान धरूँ नित श्याम तेरा मैं, तेरी ज्योत जलाऊँगा
भक्ति भाव मेरे मन मंदिर में, भूल गया दुनियादारी
लालच- तृष्णा भूल गया, कर दो इच्छा पूरी सारी
अरविन्द लिखता है भजन तेरे, और साथ में मैं भी गाऊँगा
ध्यान धरूँ नित श्याम तेरा मैं, तेरी ज्योत जलाऊँगा
© अरविंद भारद्वाज