फिर सिमट कर बैठ गया हूं अपने में,
The only difference between dreams and reality is perfection
महिलाएं अक्सर हर पल अपने सौंदर्यता ,कपड़े एवम् अपने द्वारा क
तेरा मेरा वो मिलन अब है कहानी की तरह।
चलती है उलटीं रित इस जहां में,
सपने देखने का हक हैं मुझे,
खुद ही परेशान हूँ मैं, अपने हाल-ऐ-मज़बूरी से
23/54.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
उत्तेजना🤨 और क्रोध😡 में कहा गया शब्द और किया गया कर्म स्थिति
ग़म बांटने गए थे उनसे दिल के,
"हिंदी साहित्य रत्न सम्मान - 2024" से रूपेश को नवाज़ा गया'