हो रही है भोर अनुपम देखिए।
स्त्रियां, स्त्रियों को डस लेती हैं
चलना हमारा काम है
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
जिंदगी से कुछ यू निराश हो जाते हैं
सत्य से सबका परिचय कराएं आओ कुछ ऐसा करें
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
6. GREAT MOTHER ( An Acrostic Poem )
खुद क्यों रोते हैं वो मुझको रुलाने वाले
*खुशी लेकर चली आए, सभी के द्वार दीवाली (हिंदी गजल)*
ग़म कड़वे पर हैं दवा, पीकर करो इलाज़।
संस्मरण #पिछले पन्ने (11)
फेसबुक ग्रूपों से कुछ मन उचट गया है परिमल
मैं टीम इंडिया - क्यों एक अभिशापित कर्ण हूँ मैं!