एक अजीब कशिश तेरे रुखसार पर ।
असहिं का वृद्ध लो के होई दुरगतिया
छत्रपति वीर शिवाजी जय हो 【गीत】
“दूल्हे की परीक्षा – मिथिला दर्शन” (संस्मरण -1974)
మంత్రాలయము మహా పుణ్య క్షేత్రము
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
"मुश्किलें मेरे घर मेहमानी पर आती हैं ll
जो लोग धन को ही जीवन का उद्देश्य समझ बैठे है उनके जीवन का भो
समझदार करने लगे,अर्थहीन जब बात .