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15 Sep 2024 · 1 min read

4340.*पूर्णिका*

4340.*पूर्णिका*
🌷 वक्त के साथ ढ़लना पड़ा🌷
22 22 1212
वक्त के साथ ढ़लना पड़ा ।
पकड़े हाथ चलना पड़ा ।।

बदले अरमान जिंदगी।
खुद ही पत्थर गलना पड़ा ।।

दुनिया की बात समझ के।
सच में दाल दलना पड़ा ।।

ये अंधेरा मिटे यहाँ ।
बनके दीप जलना पड़ा ।।

यूं खेदू शान भी बढ़े।
मन को भी मचलना पड़ा ।।
……….✍️ डॉ. खेदू भारती “सत्येश “
15-09-2024 रविवार

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