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13 Sep 2024 · 1 min read

*तीन कवियों ने मिलकर बनाई एक कुंडलिया*

तीन कवियों ने मिलकर बनाई एक कुंडलिया
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[लेखक: रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451]
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दिनांक 12 सितंबर 2024 को बरसात का मौसम था। आकाश से वर्षा की झड़ी लगी हुई थी। इसी बीच ‘आध्यात्मिक साहित्यिक काव्यधारा’ व्हाट्सएप समूह पर मुरादाबाद निवासी कविवर राजीव प्रखर जी ने एक दोहा लिखकर भेजा।
दोहे में दो पंक्तियॉं होती हैं। दोहे को पढ़कर बरेली निवासी कविवर डॉ महेश मधुकर जी आनंदित हो उठे। उन्होंने राजीव प्रखर जी द्वारा प्रेषित दो पंक्तियों को कुंडलिया की तर्ज पर आगे बढ़ाते हुए अपनी भी दो पंक्तियॉं रच कर भेज दीं। इस तरह कुल चार पंक्तियॉं हो गईं ।
कुंडलिया की अंतिम दो पंक्तियॉं लिखी जाना शेष थीं। अतः रामपुर निवासी रवि प्रकाश अर्थात इन पंक्तियों के लेखक के मन में कुंडलिया पूर्ण करने की इच्छा तीव्रता से जागृत हो उठी। बस फिर क्या था, कुंडलिया की अंतिम दो पंक्तियॉं भी रच गईं।
इस प्रकार तीन जनपदों के तीन कवियों ने एक व्हाट्सएप समूह पर कुंडलिया की रचना कर दी। तीनों कवियों के योगदान से बनी कुंडलिया इस प्रकार रही:-

मौसम ठंडा हो चला, बारिश ताबड़तोड़
गर्म पकौड़े गर्व से, मूँछें रहे मरोड़
मूँछें रहे मरोड़, बरेली में मधुकर जी
हमें पकौड़े गर्म, खिलाएँ वत्स प्रखर जी
कहते रवि कविराय, पकौड़ों में है दम-खम
अगले दो दिन तेज, रहेगा वर्षा-मौसम

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