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7 Sep 2024 · 1 min read

*आंखों से जाम मुहब्बत का*

आंखों से जाम मुहब्बत का रोज़ पिलाती है l
पर न कभी कोई शाम हसीं साथ बिताती है l

जब वो शाम ए तसव्वुर में मिलने आती है,
मेरी हंसती खिलती हयात बिखर जाती है l

शोख़- ए – हवा बन यूं तेरी गली चले आते हैं,
जब तेरी ये पाज़ेब खनक खनक के बुलाती है l

बहुत खूब हैं ये झुमके,ये बेनी की गजरा,
पर माथे पर बिंदी की कशिश लुभाती है l

हौले -हौले बादल की तरह पीछा करता हूं,
कोई मधुबाला जब भी पनघट को जाती है l

इजहार ए इश्क का अंदाज नया है यारों,
वो देख मुझे हाथों से जो अक़्स छुपाती है l

इतरा के उंगलियों से जुल्फों को संवारना,
यहीं अदा तेरी महफिल में आग लगाती है l

हयात- जिंदगी
पाज़ेब – पायल
अक्स – चेहरा
✍️ दुष्यंत कुमार पटेल

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