कितने दोगले लोग है, लड़की देनी है जमीन वाले घर में लेकिन लड़
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
मसला ये नहीं कि लोग परवाह नहीं करते,
भक्त कवि स्वर्गीय श्री रविदेव_रामायणी*
वेदना की संवेदना
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
मैंने चुना है केसरिया रंग मेरे तिरंगे का
आप और हम जीवन के सच ..........एक प्रयास
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
आए थे बनाने मनुष्य योनि में पूर्वजन्म की बिगड़ी।
हम कुछ कार्य करने से पहले बहुत बार कल्पना करके और समस्या उत्
वहाँ से पानी की एक बूँद भी न निकली,
जीवन सुंदर खेल है, प्रेम लिए तू खेल।
हे, वंशीधर! हे, त्रिपुरारी !!
पीछे तो उसके जमाना पड़ा था, गैरों सगों का तो कुनबा खड़ा था।
जब विस्मृति छा जाती है, शाश्वतता नजर कहाँ आती है।