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9 Aug 2024 · 1 min read

वर्तमान साहित्यिक कालखंड को क्या नाम दूँ.

वर्तमान साहित्यिक कालखंड को क्या नाम दूँ?

विभिन्न साहित्यिक काल खंडो पर मंथन करने के उपरांत यह निष्कर्ष निकलता है,कि, विचार कभी नहीं मरते| विचारों का शाश्वत अस्तित्व युगो- युगो से रहा है| वीरगाथा काल, रीतिकाल, भक्तिकाल, आधुनिक काल में एक विशेष विचारधारा की प्रमुखता रही है| इसी प्रकार गद्य में भी भारतेंदु युग,द्विवेदी युग, रामचंद्र शुक्ल व प्रेमचंद युग, आद्यतन युग में एक विशेष विचारधारा की प्रमुखता रही है| उक्त विचारधारा आज भी प्रेरणा का स्रोत है|और कवियों गद्यकारों को प्रेरित कर रही है |

जहां, वर्तमान विचारधारा वेदांत के सिद्धांतों का समर्थन करती है,वही आधुनिकवाद, { यथार्थ, प्रकृति, प्रगति व प्रयोगवाद} का अनुसरण करती भी दिखाई देती है | आज की विचारधारा स्वच्छंदवादी, यथार्थवादी, प्रकृतिवादी व आधुनिकतावादी आंदोलन का समर्थन करती दिखाई देती है, और इसे समसामयिक कालखंड के रूप में निरूपित करती है| नवयुग के पक्षधर पश्चिम का राज छोड़कर पूर्वी सभ्यता का गुणगान करते हैं वही अलंकारों के अतिशय प्रयोग से बचते हैं,सरलता और सहजता पर पूर्ण ध्यान देते हैं |

निश्चित ही जीवन और समाज के प्रश्नों पर विचार विमर्श करना आज की वर्तमान विचारधारा का मुख्य उद्देश्य है| वर्तमान कालखंड में जीवन और सामाजिक विषयों की प्रमुखता रही है| अतः मेरी राय में इस कालखंड को जीवंत समन्वय वादी कालखंड कहना अनुचित नहीं होगा| चाहे लेखन की विधा, गद्य, पद्य,चंपू इत्यादि ही हो| आज की विचारधारा जीवंत समन्वयवाद की पोषक है या नहीं यह विचारणीय प्रश्न है? यह निर्णय में गुणी आचार्य जनों पर छोड़ता हूं|

डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
8/219 विकास नगर, लखनऊ,226022
मोबाइल 9450022526

Language: Hindi
Tag: लेख
104 Views
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