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19 Jul 2024 · 1 min read

बैठ सम्मुख शीशे के, सखी आज ऐसा श्रृंगार करो...

बैठ सम्मुख शीशे के, सखी आज ऐसा श्रृंगार करो…
खूबियों के साथ, अपने कमियों से भी प्यार करो !
बाह्य आंडबर से दूर, अपने अंर्तमन का आह्वान करो…
छोड़ कर सारी चिंताओं को, बस खुद को स्वीकार करो !
~निहारिका

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