“तुम हो जो इतनी जिक्र करते हो ,
ख़्वाब तेरा, तेरा ख़्याल लिए,
कोई भी जंग अंग से नही बल्कि हौसले और उमंग से जीती जाती है।
*राम भक्ति नवधा बतलाते (कुछ चौपाइयॉं)*
विलुप्त हो रही हैं खुल के हंसने वाली लड़कियां,मौन हो रहे हैं
दरख़्त-ए-जिगर में इक आशियाना रक्खा है,
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
** मन में यादों की बारात है **
मैं अपने सारे फ्रेंड्स सर्कल से कहना चाहूँगी...,
रिसाइकल्ड रिश्ता - नया लेबल
इतनी वफ़ादारी ना कर किसी से मदहोश होकर,
दर्द दिल में दबाए बैठे हैं,