पहचान लेता हूँ उन्हें पोशीदा हिज़ाब में
पास आकर मुझे अब लगालो गले ,
संघ के संगठन के सम्बन्ध में मेरे कुछ विचार 🙏संगठन में नियम न
बुंदेली दोहा - परदिया
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
सच्चाई है कि ऐसे भी मंज़र मिले मुझे
बदली गम की छंटती, चली गई धीरे धीरे
हमारे रिश्ते को बेनाम रहने दो,
माँ आज भी मुझे बाबू कहके बुलाती है
मां शारदे
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
तल्खियां
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
ज़रूरत में ही पूछते हैं लोग,
तेरी एक मुस्कुराहट काफी है,
"" *गणतंत्र दिवस* "" ( *26 जनवरी* )
जिन्दगी से भला इतना क्यूँ खौफ़ खाते हैं
पैर, चरण, पग, पंजा और जड़