ग़ज़ल-जितने घाव पुराने होंगे
ग़ज़ल(ये शाम धूप के ढलने के बाद आई है)
प्यार के मायने बदल गयें हैं
कैसी यह मुहब्बत है
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
हिचकियां कम कभी नहीं होतीं
आखिरी अल्फाजों में कहा था उसने बहुत मिलेंगें तेरे जैसे
*शादी के पहले, शादी के बाद*
अंदाज़े शायरी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
6. GREAT MOTHER ( An Acrostic Poem )
"मेरे तो प्रभु श्रीराम पधारें"
आज हम ऐसे मोड़ पे खड़े हैं...
अनर्गल गीत नहीं गाती हूं!