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15 Jun 2024 · 1 min read

कड़वा सच

सेवा का जो अर्थ न जाने, सेवा फल को क्या पहचाने
कर्मों को जो देने वाला है, कर्म फल वो क्या ही जाने
ऐसी सोच को रखने वाले, ज्ञान ध्यान की बातें करते
बातें तो अच्छी लगती है, जिनसे वो भी सौगातें भरते
धन दौलत नहीं संग जायेगी, भक्ति भाव रंग लाएगी
भवन अट्टालिका बन जायेगी,बुड्ढी ऐसे फिर जायेगी
धन सम्मान मान चाहिए, ज्ञान विज्ञान का भान चाहिए
बना मूर्ख लूटा जो सबसे उसका भी अभिमान चाहिए

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