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10 Jun 2024 · 1 min read

विरह–व्यथा

जैसे अंबर का रीतापन
जैसे बगिया का फीकापन
जैसे सागर का खारापन
जैसे पनघट का सूनापन
ठीक वैसे ही होता है
विरहन का एकाकीपन

–कुंवर सर्वेंद्र विक्रम सिंह
*©️®️स्वरचित, सर्वाधिकार सुरक्षित

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