Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 May 2024 · 2 min read

हमारे जमाने में साइकिल तीन चरणों में सीखी जाती थी ,

हमारे जमाने में साइकिल तीन चरणों में सीखी जाती थी ,
पहला चरण – कैंची
दूसरा चरण – डंडा
तीसरा चरण – गद्दी …

तब साइकिल की ऊंचाई 24 इंच हुआ करती थी जो खड़े होने पर हमारे कंधे के बराबर आती थी ऐसी साइकिल से गद्दी चलाना मुनासिब नहीं होता था।
“कैंची” वो कला होती थी जहां हम साइकिल के फ़्रेम में बने त्रिकोण के बीच घुस कर दोनो पैरों को दोनो पैडल पर रख कर चलाते थे
और जब हम ऐसे चलाते थे तो अपना सीना तान कर टेढ़ा होकर हैंडिल के पीछे से चेहरा बाहर निकाल लेते थे, और “क्लींङ क्लींङ” करके घंटी इसलिए बजाते थे ताकी लोग बाग़ देख सकें की लड़का साईकिल दौड़ा रहा है

आज की पीढ़ी इस “एडवेंचर” से महरूम है उन्हे नही पता की आठ दस साल की उमर में 24 इंच की साइकिल चलाना “जहाज” उड़ाने जैसा होता था
हमने ना जाने कितने दफे अपने घुटने और मुंह तोड़वाए है और गज़ब की बात ये है कि तब दर्द भी नही होता था, गिरने के बाद चारो तरफ देख कर चुपचाप खड़े हो जाते थे अपना हाफ कच्छा पोंछते हुए।
अब तकनीकी ने बहुत तरक्क़ी कर ली है पांच साल के होते ही बच्चे साइकिल चलाने लगते हैं वो भी बिना गिरे। दो दो फिट की साइकिल आ गयी है, और अमीरों के बच्चे तो अब सीधे गाड़ी चलाते हैं छोटी छोटी बाइक उपलब्ध हैं बाज़ार में

मगर आज के बच्चे कभी नहीं समझ पाएंगे कि उस छोटी सी उम्र में बड़ी साइकिल पर संतुलन बनाना जीवन की पहली सीख होती थी! “जिम्मेदारियों” की पहली कड़ी होती थी जहां आपको यह जिम्मेदारी दे दी जाती थी कि अब आप गेहूं पिसाने लायक हो गये हैं
इधर से चक्की तक साइकिल ढुगराते हुए जाइए और उधर से कैंची चलाते हुए घर वापस आइए !
और यकीन मानिए इस जिम्मेदारी को निभाने में खुशियां भी बड़ी गजब की होती थी।
और ये भी सच है की हमारे बाद “कैंची” प्रथा विलुप्त हो गयी

हम लोग की दुनिया की आखिरी पीढ़ी हैं जिसने साइकिल चलाना तीन चरणों में सीखा !
पहला चरण कैंची
दूसरा चरण डंडा
तीसरा चरण गद्दी।
हम वो आखरी पीढ़ी हैं, जिन्होंने कई-कई बार मिटटी के घरों में बैठ कर परियों और राजाओं की कहानियां सुनीं, जमीन पर बैठ कर खाना खाया है, प्लेट में चाय पी है।
हम वो आखरी लोग हैं, जिन्होंने बचपन में मोहल्ले के मैदानों में अपने दोस्तों के साथ पम्परागत खेल, गिल्ली-डंडा, छुपा-छिपी, खो-खो, कबड्डी, कंचे जैसे खेल खेले हैं l

112 Views

You may also like these posts

दिलकश
दिलकश
Vandna Thakur
2653.पूर्णिका
2653.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
हम जानते हैं - दीपक नीलपदम्
हम जानते हैं - दीपक नीलपदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
खूबी
खूबी
Ruchi Sharma
विषय-अर्ध भगीरथ।
विषय-अर्ध भगीरथ।
Priya princess panwar
रंगों का महापर्व होली
रंगों का महापर्व होली
इंजी. संजय श्रीवास्तव
कहानी कोई भी हो
कहानी कोई भी हो
SATPAL CHAUHAN
"आंखरी ख़त"
Lohit Tamta
★HAPPY BIRTHDAY SHIVANSH BHAI★
★HAPPY BIRTHDAY SHIVANSH BHAI★
★ IPS KAMAL THAKUR ★
बसंत आयो रे
बसंत आयो रे
Seema gupta,Alwar
सगळां तीरथ जोवियां, बुझी न मन री प्यास।
सगळां तीरथ जोवियां, बुझी न मन री प्यास।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
छंद घनाक्षरी...
छंद घनाक्षरी...
डॉ.सीमा अग्रवाल
कभी ख़ुद को गले से तो लगाया जा नहीं सकता
कभी ख़ुद को गले से तो लगाया जा नहीं सकता
अंसार एटवी
*Move On...*
*Move On...*
Veneeta Narula
"परखना "
Yogendra Chaturwedi
आजकल कुछ सुधार है प्यारे...?
आजकल कुछ सुधार है प्यारे...?
पंकज परिंदा
प्रथमा
प्रथमा
Shyam Sundar Subramanian
इंतजार युग बीत रहा
इंतजार युग बीत रहा
Sandeep Pande
कल सबको पता चल जाएगा
कल सबको पता चल जाएगा
MSW Sunil SainiCENA
ग़ुरूर
ग़ुरूर
सिद्धार्थ गोरखपुरी
जय जोहार
जय जोहार
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
बेमिसाल इतिहास
बेमिसाल इतिहास
Dr. Kishan tandon kranti
*अलविदा तेईस*
*अलविदा तेईस*
Shashi kala vyas
शोभा वरनि न जाए, अयोध्या धाम की
शोभा वरनि न जाए, अयोध्या धाम की
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
अगर आप को आप से छोटे नसीहतें देने लगें, तो समझ लेना कि आप जी
अगर आप को आप से छोटे नसीहतें देने लगें, तो समझ लेना कि आप जी
*प्रणय*
दौलत से सिर्फ
दौलत से सिर्फ"सुविधाएं"मिलती है
नेताम आर सी
- तेरे लिए मौत से भी लड़ जाऊंगा -
- तेरे लिए मौत से भी लड़ जाऊंगा -
bharat gehlot
बस देखने का नजरिया है,
बस देखने का नजरिया है,
Aarti sirsat
राजनीति गर्त की ओर
राजनीति गर्त की ओर
Khajan Singh Nain
A Departed Soul Can Never Come Again
A Departed Soul Can Never Come Again
Manisha Manjari
Loading...