Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 May 2024 · 2 min read

अंतर

नन्हा बालक होता है अबोध,
ना समझे वो कोई शोध।
वो तो है एक अभिन्न कृति,
ना जाने वो मानव प्रकृति।।

जब होती उसको भूख,
नापसंद चीज को वो देता थूक।
उससे ना करे कोई वाद ,
क्यूंकि उसे पसंद नहीं वो स्वाद।।

कभी कभी वो करता
थोड़ा बहुत गुस्सा और क्रोध।
क्यूंकि उसे,
बिलकुल नहीं उसका प्रबोध।

वो पूछे कई बार,
एक ही बात।
क्यूंकि जिज्ञासा ही है,
उसका जज़्बात।

घर वालो से,
करता वो शिकायत और जिद।
और बाहर वालो के सामने,
बंद हो जाती उसकी जीभ।

कोई कहे उसे,
कुछ भेद की बातें तो वो पचा जाता।
पर मज़ाल है वो,
किसी को बता के आता।

देख देख कर सीखता,
वो सब संस्कार।
फिर क्यों दूजे कहते,
कि उसके अच्छे ना आचार विचार।

कुछ कुछ लोग है कहते,
की बुढ़ापा भी बचपना है लाता।
पर कुछ दुविधा है,
इसमें कोई समानता ना पाता।

अब जब होती भूख,
अपनी पसंद ही चाहिए नहीं तो देते थूक।
चाहे कितना भी करो वाद,
दुसरे की पसंद का ना चलेगा स्वाद।।

हर कहीं होता है अब गुस्सा
बहुत सी घृणा और और थोड़ा सा क्रोध।
क्यूंकि उसे दूजे को नीचे दिखाने का,
अच्छे से है प्रबोध।

वो कहे अलग अलग लोगो को कई बार,
एक ही बात।
क्यूंकि चुगली ही है,
उसका जज़्बात।

बाहर वालो से,
करता वो अपने घर की शिकायत और जिद।
और घर वालो के सामने,
चुप ही रह जाती उसकी जीभ।

कोई कहे उसे,
कुछ भेद की बातें तो वो अब ना पचा जाता।
पर मज़ाल है वो,
किसी को बिना बता के आता।

हर दिन सीखाते ,
वो सब यही संस्कार।
फिर कहते,
आजकल के बच्चो के अच्छे नही है आचार विचार।
डॉ महेश कुमावत 16 मार्च 2023

Language: Hindi
1 Like · 111 Views
Books from Dr. Mahesh Kumawat
View all

You may also like these posts

लेख
लेख
Praveen Sain
चाणक्य सूत्र
चाणक्य सूत्र
Rajesh Kumar Kaurav
प्रेम
प्रेम
Ruchika Rai
सस्ते नशे सी चढ़ी थी तेरी खुमारी।
सस्ते नशे सी चढ़ी थी तेरी खुमारी।
Rj Anand Prajapati
ओ परबत  के मूल निवासी
ओ परबत के मूल निवासी
AJAY AMITABH SUMAN
बस तेरे हुस्न के चर्चे वो सुबो कार बहुत हैं ।
बस तेरे हुस्न के चर्चे वो सुबो कार बहुत हैं ।
Phool gufran
मेरा ग़म
मेरा ग़म
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
देख रे भईया फेर बरसा ह आवत हे......
देख रे भईया फेर बरसा ह आवत हे......
रेवा राम बांधे
पिटूनिया
पिटूनिया
अनिल मिश्र
बसंत
बसंत
Dr Archana Gupta
𝕾...✍🏻
𝕾...✍🏻
पूर्वार्थ
*अध्याय 5*
*अध्याय 5*
Ravi Prakash
दिल में बसाना नहीं चाहता
दिल में बसाना नहीं चाहता
Ramji Tiwari
My luck is like sand
My luck is like sand
VINOD CHAUHAN
राम कृपा (घनाक्षरी छंद)
राम कृपा (घनाक्षरी छंद)
guru saxena
कहाँ लोग सुनेला
कहाँ लोग सुनेला
आकाश महेशपुरी
"वाणी की भाषा": कविता
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
"किसे कहूँ"
Dr. Kishan tandon kranti
परमारथ कर प्राणिया, दया धरम अर दान।
परमारथ कर प्राणिया, दया धरम अर दान।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
#मां#
#मां#
Madhavi Srivastava
4671.*पूर्णिका*
4671.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
क्षणिका. . .
क्षणिका. . .
sushil sarna
तेरा नाम रहेगा रोशन, जय हिंद, जय भारत
तेरा नाम रहेगा रोशन, जय हिंद, जय भारत
gurudeenverma198
पीछे मुड़कर
पीछे मुड़कर
Davina Amar Thakral
सफर में हमसफ़र
सफर में हमसफ़र
Atul "Krishn"
ये वादियां
ये वादियां
Surinder blackpen
मां की याद
मां की याद
Neeraj Agarwal
देव दीपावली कार्तिक पूर्णिमा
देव दीपावली कार्तिक पूर्णिमा
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
***************गणेश-वंदन**************
***************गणेश-वंदन**************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मेरे चेहरे से ना लगा मेरी उम्र का तकाज़ा,
मेरे चेहरे से ना लगा मेरी उम्र का तकाज़ा,
Ravi Betulwala
Loading...