Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 May 2024 · 1 min read

अनमोल दोस्ती

अनमोल दोस्ती का अनमोल तू खजाना
जीवन सोपान पद का पहचान भी कराना
अदृश्य डोर बंधकर, एहसास भी कराना
कमजोर जब पड़े तो विश्वास भी जगाना
ए दोस्त तू मेरी दोस्ती तो निभाना
अब नहीं चाहिए मुझे कुछ खजाना
कभी छिपकर रोना, कभी मुस्कुराना
ना मिले जो कभी फिर भी आश लगाना
दोस्ती हैं हमारी हमें हैं निभाना
सपने में मुझको कभी ना भुलाना
तेरी दो बाते दिलासा दिलाती
आकर मुझे मेरी कर्त्तव्यता बताती
असमंजस में कभी पड़ा जो मैं रहता
तेरी शब्द वार्ता स-शक्तियाँ आ भरता
अप्रत्यक्ष सा प्रवक्ता पहचान ही रहेगा
अभिशाप भी तुम्हारा वरदान ही रहेगा
दूर भी हो कितना पर पास हो हमारे
कितने भी दोस्त हो पर तुम हो सबसे न्यारे
इतिहास भी गवाही देने को तैयार हैं
ईश्वर से प्रार्थना का भी इकरार हैं
संजोग भी सहयोग भी संकल्प भी रहेगा
साधारण से असाधारण प्रति कल्प भी रहेगा

Language: Hindi
1 Like · 163 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Er.Navaneet R Shandily
View all

You may also like these posts

इंतजार
इंतजार
NAVNEET SINGH
कवियों का अपना गम
कवियों का अपना गम
goutam shaw
आज का सच नही है
आज का सच नही है
Harinarayan Tanha
रामभक्त हनुमान
रामभक्त हनुमान
Seema gupta,Alwar
ऐ चांद! तुम इतराते
ऐ चांद! तुम इतराते
Indu Singh
प्रभु शुभ कीजिए परिवेश
प्रभु शुभ कीजिए परिवेश
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
इक नज़्म
इक नज़्म
Meenakshi Bhatnagar
दर्द की नदी जैसे बहते रहे हम,
दर्द की नदी जैसे बहते रहे हम,
रश्मि मृदुलिका
तहक़ीर
तहक़ीर
Shyam Sundar Subramanian
गज़ल
गज़ल
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
बोझ
बोझ
Dr. Kishan tandon kranti
माली की अभिलाषा
माली की अभिलाषा
Vijay kumar Pandey
#पंचैती
#पंचैती
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
चुपके से मिलने आना
चुपके से मिलने आना
Praveen Bhardwaj
लड़ाई छल और हल की
लड़ाई छल और हल की
Khajan Singh Nain
$ग़ज़ल
$ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
When your intentions are pure , you will get help from unive
When your intentions are pure , you will get help from unive
पूर्वार्थ देव
कला
कला
Kshma Urmila
वो गुलमोहर जो कभी, ख्वाहिशों में गिरा करती थी।
वो गुलमोहर जो कभी, ख्वाहिशों में गिरा करती थी।
Manisha Manjari
गंगा की जलधार
गंगा की जलधार
surenderpal vaidya
ख़ुद की हस्ती मिटा कर ,
ख़ुद की हस्ती मिटा कर ,
ओसमणी साहू 'ओश'
"माँ" सम्पूर्ण विज्ञान
पंकज परिंदा
खुली क़िताब पढ़ने एक उम्र बिताना ज़रूरी है,
खुली क़िताब पढ़ने एक उम्र बिताना ज़रूरी है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
गीत मेरे जब ख्वाबों में
गीत मेरे जब ख्वाबों में
इंजी. संजय श्रीवास्तव
गर्मी की मार
गर्मी की मार
Dr.Pratibha Prakash
किसी
किसी
Vedkanti bhaskar
#मुक्तक-
#मुक्तक-
*प्रणय प्रभात*
4454.*पूर्णिका*
4454.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
समय बदलता तो हैं,पर थोड़ी देर से.
समय बदलता तो हैं,पर थोड़ी देर से.
Piyush Goel
दोहा त्रयी. . .
दोहा त्रयी. . .
sushil sarna
Loading...