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13 May 2024 · 1 min read

अपने ही घर से बेघर हो रहे है।

आज अपने ही घर से बेघर हो रहे है।
वो मां बाप देखो कितना जार जार रो रहे हो।।

चुन चुन कर ख्वाबों से यूं सजाया था।
दीवारों दर तो छूटा ही है रिश्ते भी खो रहे है।।

कत्ल करके हमारा अंजान बन गए है।
गुनाह कर के हाथों के अपने निशां धो रहे है।।

पता ना था यूं हमारी इज़्जत उछलेंगें।
अहसान करके हम पे सबसे बयां कर रहे है।।

मासूम है गम ए मोहब्बत से अंजान है।
नादां दिल देखो ईश्क में कैसे जवां हो रहे है।।

इश्क के सागर में डूबके कोई ना उबरा।
जबसे दिल टूटे है ये आशिक नादां रो रहे है।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ

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