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9 May 2024 · 1 min read

"सड़क"

“सड़क”
जस-जस बढ़ती हूँ
जोड़ती ही जाती हूँ
सैकड़ों गाँवों-नगरों को,
आसान कर देती हूँ
दुर्गम राहों को
हर एक मंजिलों को।

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