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7 May 2024 · 1 min read

क्यों बदल जाते हैं लोग

संग चलके दो कदम क्यों बदल जाते हैं लोग
इस तरह विश्वास को क्यों कुचल जाते हैं लोग

इस जहां में लोग अपनों पर करें कैसे यकीन
अपने ही तो प्यार अपनों का निगल जाते हैं लोग

ये मोहब्बत क्या है कोई आकर मुझको दे बता
देख कर क्यों हुस्न को यूँ ही फिसल जाते हैं लोग

कौन होगा किसका है यह जिंदगी भी बेवफा
क्यों वफा के नाम पर सबको छल जाते हैं लोग

कौन है अपना जहां में यह जहां है मतलबी
चेहरा छुपा कर वक्त आते ही निकल जाते हैं लोग

ढूँढ लेंगे हम ठिकाना इन तन्हाइयों के रास्ते
सोच कर कुछ इस तरह फिर सम्भल जाते हैं लोग

‘V9द’ जो ठोकर लगी सब समझ में आ गया
स्वार्थ के खातिर यूँ ऐसे रस्ता बदल जाते हैं लोग

स्वरचित
V9द चौहान

1 Like · 239 Views
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