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1 May 2024 · 1 min read

आपसा हम जो

फूल से हम जो खिल नहीं पाये ।
तुम से मिलना था मिल नहीं पाये ।।

दर्द रिसता है आज भी उन से ।
ज़ख्म दिल के जो सिल नहीं पाये ।।

ज़ब्त में भी कमाल था इतना ।
अश्क पलकों से हिल नहीं पाये ।।

भूल सकते थे आप को हम भी ।
आपसा हम जो दिल नहीं पाये ।।

हम को लग जाती है नज़र सब की ।
क्या करें रुख पे तिल नहीं पाये ।।

डाॅ फौज़िया नसीम शाद

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