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1 May 2024 · 1 min read

वज़्न -- 2122 2122 212 अर्कान - फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन बह्र का नाम - बह्रे रमल मुसद्दस महज़ूफ

काफिया – “अर” की बंदिश
रदीफ़ – नहीं

याद तेरी ख़ार की मुंतज़िर नहीं ।
मौत चुप है शोर-ए-महशर नहीं।

जिंदगी ही शोर करती है सदा,
मौत चुप है शोर-ए-महशर नहीं।

आदमीयत है अ़क्सा अज़मत सुनो
हैसियत खुद के बराबर पर नहीं।

ग़र है मिलना रूह तक पहुँचो ज़रा,
इश्क दौलत है दिलों की ज़र नहीं।

फ़र्क़ औरत मर्द में नीलम चुभे,
हैं अखस इंसां महज़ बिस्तर नहीं।
नीलम शर्मा ✍️

अखस – बहुत ही खास
अक़्सा – कतारें, छोर, दूरियाँ
अज़मत – प्रतिष्ठा, बड़ाई, आदर, इज़्ज़त
अज़हद- असीम, अपार, बेहद

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