Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Apr 2024 · 1 min read

कंधे पे अपने मेरा सर रहने दीजिए

कंधे पे अपने मेरा सर रहने दीजिए।
कुछ देर मुहब्बत का सफर रहने दीजिए।

करते हो मुझे तुम भी प्यार मेरा जैसा ही
जमाने को यह झूठी खबर रहने दीजिए।

मांगा है मैने तुमको दुआओं में रात -दिन
कुछ देर इबादत का असर रहने दीजिए।

ले लीजिए खुशियां सभी मेरे हिस्से की
गम अपने सारे मेरे इधर रहने दीजिए।

कि जिसपे बना रखा है चिड़ियों ने बसेरा
मत काटिए वह बूढ़ा शजर रहने दीजिए।
– एड. रमाकान्त चौधरी

167 Views

You may also like these posts

*अलविदा तेईस*
*अलविदा तेईस*
Shashi kala vyas
*पत्रिका समीक्षा*
*पत्रिका समीक्षा*
Ravi Prakash
चाँद तो चाँद रहेगा
चाँद तो चाँद रहेगा
shabina. Naaz
चिंतन
चिंतन
Rambali Mishra
आँखे नम हो जाती माँ,
आँखे नम हो जाती माँ,
Sushil Pandey
लौटना पड़ा वहाँ से वापस
लौटना पड़ा वहाँ से वापस
gurudeenverma198
उन्नति का जन्मदिन
उन्नति का जन्मदिन
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
आपकी याद जब नहीं है तो क्यूं,
आपकी याद जब नहीं है तो क्यूं,
Dr fauzia Naseem shad
लोगों का क्या है
लोगों का क्या है
Shinde Poonam
जिंदगी
जिंदगी
पूर्वार्थ
माॅ॑ बहुत प्यारी बहुत मासूम होती है
माॅ॑ बहुत प्यारी बहुत मासूम होती है
VINOD CHAUHAN
।।
।।
*प्रणय*
नहीं है पूर्णता मुझ में
नहीं है पूर्णता मुझ में
DrLakshman Jha Parimal
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
तू ही हमसफर, तू ही रास्ता, तू ही मेरी मंजिल है,
तू ही हमसफर, तू ही रास्ता, तू ही मेरी मंजिल है,
Rajesh Kumar Arjun
" क्या कहूँ? "
Dr. Kishan tandon kranti
हम इतने भी मशहूर नहीं अपने ही शहर में,
हम इतने भी मशहूर नहीं अपने ही शहर में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
हम भी अगर बच्चे होते
हम भी अगर बच्चे होते
नूरफातिमा खातून नूरी
भावुक हृदय
भावुक हृदय
Dr. Upasana Pandey
ठहर गया
ठहर गया
sushil sarna
4393.*पूर्णिका*
4393.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जिन्दगी
जिन्दगी
Rajesh Kumar Kaurav
अयोध्या धाम तुम्हारा तुमको पुकारे
अयोध्या धाम तुम्हारा तुमको पुकारे
Harminder Kaur
बात करोगे तो बात बनेगी
बात करोगे तो बात बनेगी
Shriyansh Gupta
श्याम बाबा भजन अरविंद भारद्वाज
श्याम बाबा भजन अरविंद भारद्वाज
अरविंद भारद्वाज
पृष्ठों पर बांँध से बांँधी गई नारी सरिता
पृष्ठों पर बांँध से बांँधी गई नारी सरिता
Neelam Sharma
!............!
!............!
शेखर सिंह
कोई बाहों में होकर भी दिल से बहुत दूर था,
कोई बाहों में होकर भी दिल से बहुत दूर था,
Ravi Betulwala
खाया-पिया,
खाया-पिया,
TAMANNA BILASPURI
मुक्तक
मुक्तक
सतीश पाण्डेय
Loading...