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25 Apr 2024 · 1 min read

कंधे पे अपने मेरा सर रहने दीजिए

कंधे पे अपने मेरा सर रहने दीजिए।
कुछ देर मुहब्बत का सफर रहने दीजिए।

करते हो मुझे तुम भी प्यार मेरा जैसा ही
जमाने को यह झूठी खबर रहने दीजिए।

मांगा है मैने तुमको दुआओं में रात -दिन
कुछ देर इबादत का असर रहने दीजिए।

ले लीजिए खुशियां सभी मेरे हिस्से की
गम अपने सारे मेरे इधर रहने दीजिए।

कि जिसपे बना रखा है चिड़ियों ने बसेरा
मत काटिए वह बूढ़ा शजर रहने दीजिए।
– एड. रमाकान्त चौधरी

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