शिव सबके आराध्य हैं, रावण हो या राम।
मन चाहे कुछ कहना .. .. !!
सब कुछ यूं ही कहां हासिल है,
वक़्त की आँधियाँ
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
तुम्हारे ओंठ हिलते हैं
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
साधना की मन सुहानी भोर से
विधाता छंद (28 मात्रा ) मापनी युक्त मात्रिक
प्रेम के दो वचन बोल दो बोल दो
मायड़ भासा
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया