मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
कोई आपसे तब तक ईर्ष्या नहीं कर सकता है जब तक वो आपसे परिचित
मंजिल-ए-मोहब्बत
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
हिंदी दोहे विषय- मंगल
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
!मुझको इतना भी न सता ऐ जिंदगी!
Everything happens for a reason. There are no coincidences.
दीया इल्म का कोई भी तूफा बुझा नहीं सकता।
कागज़ पे वो शब्दों से बेहतर खेल पाते है,
"हम स्वाधीन भारत के बेटे हैं"
गया अगर विष पेट में, मरे आदमी एक ।
हमें एक-दूसरे को परस्पर समझना होगा,
मेरे प्रभु राम आए हैं
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
रिळमिळ रहणौ
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया