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14 Apr 2024 · 1 min read

ग़ज़ल

कुछ लोगों में सुलह हुई।
कैसे कह दें सुबह हुई।।1

नेताओं के झगड़े में,
जनता केवल जिबह हुई।2

रोटी कपड़े की ख़ातिर,
रामू के घर कलह हुई।3

माँ- बापू की चिन्ता ये,
क्यों बेटों में जिरह हुई।4

हर ग़रीब का जीवन जैसे,
ऊबड़-खाबड़ सतह हुई।5

नहीं दोस्त से कुछ मांगा,
फिर क्यों दिल में गिरह हुई।6

सीना ताने जो चलते,
बस उनकी ही फ़तह हुई।7
डाॅ बिपिन पाण्डेय

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