3248.*पूर्णिका*
3248.*पूर्णिका*
🌷 पानी बरसते रहे🌷
2212 212
पानी बरसते रहे।
बादल गरजते रहे।।
ये जिंदगी मस्त यहाँ ।
खुशियाँ महकते रहे।।
सुंदर नजारे यहाँ ।
दिल भी मचलते रहे।।
अपना खिले यूं चमन।
चिड़िया चहकते रहे।।
इंसान खेदू मिला।
दुनिया बहलते रहे।।
……✍ डॉ. खेदू भारती “सत्येश”
08-04-2024सोमवार