Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Feb 2024 · 1 min read

एक घर था*

एक घर था..!
अब मकान है
दीवारें दरक रही हैं
नींव हिल रही है
कहने को सभी हैं
रहता कोई नहीं है
चींटी भी नहीं चढती
दीमक दीवार भूल गई।
सब कुछ नया-नया है
सामने एक दरख़्त
बरसों से खड़ा है..
मजबूरी है उसकी..
वही तो गवाह है..
वह
युग का अंतर
देख रहा है…
मकान और घर का
फ़र्क़ देख रहा है।
अब फूल रहे/न पत्ते
मगर, अब भी वो
आसमान तोल
रहा है।।
युग बोल रहा है..
जी हाँ
युग डोल रहा है।।
सूर्यकान्त

Language: Hindi
82 Views
Books from Suryakant Dwivedi
View all

You may also like these posts

सब कूछ ही अपना दाँव पर लगा के रख दिया
सब कूछ ही अपना दाँव पर लगा के रख दिया
Kanchan Gupta
भोर यहाँ बेनाम है,
भोर यहाँ बेनाम है,
sushil sarna
मुहब्बत के मआनी मुझे आते ही नहीं,
मुहब्बत के मआनी मुझे आते ही नहीं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
दुनिया हो गयी खफा खफा....... मुझ से
दुनिया हो गयी खफा खफा....... मुझ से
shabina. Naaz
*आदर्शता का पाठ*
*आदर्शता का पाठ*
Dushyant Kumar
जीवन दर्शन (नील पदम् के दोहे)
जीवन दर्शन (नील पदम् के दोहे)
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
फितरत
फितरत
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
क्या कहेंगे लोग
क्या कहेंगे लोग
Surinder blackpen
अभाव और कमियाँ ही हमें जिन्दा रखती हैं।
अभाव और कमियाँ ही हमें जिन्दा रखती हैं।
पूर्वार्थ
बेखबर
बेखबर
seema sharma
"अदावत"
Dr. Kishan tandon kranti
सूरत
सूरत
Sanjay ' शून्य'
दो किनारे
दो किनारे
आशा शैली
” शुध्दिकरण ”
” शुध्दिकरण ”
ज्योति
काश तुम में वो बात होती!
काश तुम में वो बात होती!
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
हर विषम से विषम परिस्थिति में भी शांत रहना सबसे अच्छा हथियार
हर विषम से विषम परिस्थिति में भी शांत रहना सबसे अच्छा हथियार
Ankita Patel
लोगो समझना चाहिए
लोगो समझना चाहिए
शेखर सिंह
The flames of your love persist.
The flames of your love persist.
Manisha Manjari
- वास्तविकता -
- वास्तविकता -
bharat gehlot
स्वतंत्रता
स्वतंत्रता
Mansi Kadam
#justareminderdrarunkumarshastri
#justareminderdrarunkumarshastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
4798.*पूर्णिका*
4798.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ग़ज़ल _गई अब वो गर्मी 🌹🌾
ग़ज़ल _गई अब वो गर्मी 🌹🌾
Neelofar Khan
मैं तुम्हें यूँ ही
मैं तुम्हें यूँ ही
हिमांशु Kulshrestha
''हसीन लम्हों के ख्वाब सजा कर रखें हैं मैंने
''हसीन लम्हों के ख्वाब सजा कर रखें हैं मैंने
शिव प्रताप लोधी
sp107 पीठ में खंजर घुसे
sp107 पीठ में खंजर घुसे
Manoj Shrivastava
25. जी पाता हूँ
25. जी पाता हूँ
Rajeev Dutta
ये कलयुग है ,साहब यहां कसम खाने
ये कलयुग है ,साहब यहां कसम खाने
Ranjeet kumar patre
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
सनातन संस्कृति
सनातन संस्कृति
Bodhisatva kastooriya
Loading...