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26 Feb 2024 · 1 min read

अज़ीज़-ए-दिल को भी खोना नसीब है मेरा

अज़ीज़-ए-दिल को भी खोना नसीब है मेरा
कहाँ सुकून से सोना नसीब है मेरा
वफ़ा की राह में धोका दिया मुझे जिसने
उसी की याद में रोना नसीब है मेरा

– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 23/02/2024
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मापनी- 1212, 1122, 1212, 22/112

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