*महान आध्यात्मिक विभूति मौलाना यूसुफ इस्लाही से दो मुलाकातें*
महफिलों का दौर चलने दो हर पल
मेरा किरदार शहद और नीम दोनों के जैसा है
सीखा रहा उड़ना मुझे, जिस गति से सैयाद ।.
उम्र ढली तो ही जाना, महत्व जोबन का।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
पढ़ें चुटकुले मंचों पर नित
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
ज़माने वाले जिसे शतरंज की चाल कहते हैं
खेतवे में कटे दुपहरिया (चइता)
वक्त की हम पर अगर सीधी नज़र होगी नहीं
ग़ज़ल _ सर को झुका के देख ।
प्यार है ही नही ज़माने में
ए दिल्ली शहर तेरी फिजा होती है क्यूँ