Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Feb 2024 · 1 min read

बसंत का आगम क्या कहिए…

बसंत का आगम क्या कहिए,
दिन चमचम रात उजाली है।
नत यौवन-भार से आज धरा,
हुई मद में गजब मतवाली है।

घाम ने अंगों को झुलसाया।
शीत ने कैसा कहर बरपाया।
घनन-घनन जब बदरा बरसे,
नैनों में कजरा टिक न पाया।
बीती अब सब जलन-गलन,
मुख पर मुस्कान निराली है।

पीत परिधान में सज- धज,
दूल्हा बन ऋतुराज आया।
सकुचाई प्रकृति लाज-भरी,
तन- मन में मधुमास छाया।
सजी सेज पर बैठी प्रियतमा,
नयनों में लाज की लाली है।

बंद कलियों ने आँखें खोलीं।
पंचम सुर में कोयल बोली।
पुष्पित पराग मधु रस पीने,
निकल चली भ्रमरों की टोली।
देख रुत अभिसार की आई,
प्रफुल्लित डाली-डाली है।

पतझर में पात झरे जिसके,
उस तरु पर भी अब फूल खिले !
ए कामसखा, कुछ कह तो,
कौन मंत्र अनूठे तूने पढ़े ?
हमने भी मन में सपने पाले,
फिर से नेह-आस लगा ली है।

मथ रहा है मानव-मन को,
पुष्प-वाण से आज मन्मथ।
प्रिय के आगोश में लिपटी,
उन्मत्त प्रिया कामकेलि रत।
दूर कहीं पर एक विरहन,
बस टूट बिखरने वाली है ।

© डॉ.सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद (उ.प्र.)

Language: Hindi
3 Likes · 224 Views
Books from डॉ.सीमा अग्रवाल
View all

You may also like these posts

वो, मैं ही थी
वो, मैं ही थी
शशि कांत श्रीवास्तव
मौसम बरसात का
मौसम बरसात का
Shutisha Rajput
हवेली का दर्द
हवेली का दर्द
Atul "Krishn"
ज़िंदगी, ज़िंदगी ढूंढने में ही निकल जाती है,
ज़िंदगी, ज़िंदगी ढूंढने में ही निकल जाती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
एक होस्टल कैंटीन में रोज़-रोज़
एक होस्टल कैंटीन में रोज़-रोज़
Rituraj shivem verma
प्रेम
प्रेम
बिमल तिवारी “आत्मबोध”
*लक्ष्य हासिल हो जाएगा*
*लक्ष्य हासिल हो जाएगा*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
नजरों से गिर जाते है,
नजरों से गिर जाते है,
Yogendra Chaturwedi
प्रोटोकॉल
प्रोटोकॉल
Dr. Pradeep Kumar Sharma
दिवाली
दिवाली
Akash Agam
श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
प्रवाह
प्रवाह
Lovi Mishra
ज़माना इतना बुरा कभी नहीं था
ज़माना इतना बुरा कभी नहीं था
shabina. Naaz
फिर से अजनबी बना गए जो तुम
फिर से अजनबी बना गए जो तुम
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
दिल में बसाना नहीं चाहता
दिल में बसाना नहीं चाहता
Ramji Tiwari
*पत्रिका समीक्षा*
*पत्रिका समीक्षा*
Ravi Prakash
भुला न पाऊँगी तुम्हें....!
भुला न पाऊँगी तुम्हें....!
शिवम "सहज"
बेटी दिवस मनाने का लाभ तभी है ,
बेटी दिवस मनाने का लाभ तभी है ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
दिल धड़क उठा
दिल धड़क उठा
Surinder blackpen
आप हमको पढ़ें, हम पढ़ें आपको
आप हमको पढ़ें, हम पढ़ें आपको
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
काश देख लेता तुम्हें और दो पल के लिए कल अपने सपने में
काश देख लेता तुम्हें और दो पल के लिए कल अपने सपने में
Ritesh Deo
4332.*पूर्णिका*
4332.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बाढ़
बाढ़
Dr. Vaishali Verma
सागर ने भी नदी को बुलाया
सागर ने भी नदी को बुलाया
Anil Mishra Prahari
उदास
उदास
सिद्धार्थ गोरखपुरी
जन्नत का हरेक रास्ता, तेरा ही पता है
जन्नत का हरेक रास्ता, तेरा ही पता है
Dr. Rashmi Jha
ज़िंदगी हो
ज़िंदगी हो
Dr fauzia Naseem shad
उसकी खामोशियों का राज़ छुपाया मैंने।
उसकी खामोशियों का राज़ छुपाया मैंने।
Phool gufran
"मकसद"
Dr. Kishan tandon kranti
मन
मन
Rambali Mishra
Loading...