Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
3 Feb 2024 · 1 min read

विसर्जन

हमारे नेह के वे पल विसर्जित कर दिए हमने
मिलन के वे सुनहरे क्षण तिरोहित कर दिए हमने

कभी आहवान करते थे तुम्हारा आगमन तो हो क्षणभर सही तेरा वह दरस मनभावन तो हो
विरह जल में मृदुल वे भाव प्रवाहित कर दिए हमने

तिमिर के दीप हम लघु पर तुम्हें थी चाहना रवि की
कुबेरों की सभा में कैसे हो सराहना कवि की
विदा के वचन आजीवन सुरक्षित कर दिए हमने

Loading...