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24 Jan 2024 · 1 min read

प्राप्त हो जिस रूप में

प्राप्त हो जिस रूप में जीवन
सहर्ष उसे स्वीकार करो ।
प्रेम की भाषा से हृदयों पर
सबके तुम अधिकार करो ।।

फल की चिंता छोड़ कर
मानवता पर उपकार करो ।
जीवन है संघर्ष की भांति
स्वयं को बस तैयार करो ।।

सेवा भाव, कर्तव्य निष्ठा
स्वयं में आत्मसात करो ।
क्या हो तुम? क्यों हो तुम?
स्वयं का आत्म साक्षात्कार करो ।।

संयम हो जीवन, नियम हो जीवन
मौन का भी सत्कार करो ।
स्मरण रहे मृत्यु भी तुमको
जीवन का भी उद्धार करो ।।

डाॅ फौज़िया नसीम शाद

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