Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
21 Jun 2024 · 1 min read

मुक्तक – अंत ही आरंभ है

मुक्तक – अंत ही आरंभ है

टूटकर जो बिखर जाते हैं मोती उनका कोई अस्तित्व नहीं होता
लेकिन बिखरे हुए मोतियों का यह अंत भी नहीं होता
यह अवसर है नवनिर्माण का नव सृजन का
जो बिना टूटे ही किसी को प्राप्त नहीं होता
_ सोनम पुनीत दुबे

Loading...