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21 Jan 2024 · 1 min read

पहले नाराज़ किया फिर वो मनाने आए।

ग़ज़ल

2122/1122/1122/22(112)
पहले नाराज़ किया फिर वो मनाने आए।
ज़ख्म देकर वही मरहम भी लगाने आए।

मेरे कंधे से वो बंदूक चलाने आए।
खुद को पीनी थी मगर मेरे बहाने आए।

लाव लश्कर को लिए चहरे पे मुस्कान भी है,
मेरे दुख दर्द में शामिल है बताने आए।

प्यार के वास्ते टकराया पहाड़ों से जो,
ऐसे ‘प्रेमी’ को अमाॉं प्यार सिखाने आए।

तेरा मिलना ही था सपना तो मेरे जीवन का,
आज प्रेमी के लिए दिन वो सुहाने आए।

………✍️ सत्य कुमार प्रेमी

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